कभी आओ चुपके से इस भाग दौड़ भरी जिंदगी से चुरा कर दो पल आज खुशी से जीते हैं क्या पता क्या हो कल कहीं दूर चलेंगे खुले आसमान के तले खुल कर दिल की बातें करेंगे बहुत याद आते हैं बीते पल हम बचपन की यादों में चलेंगे ख़ुद को जिएंगे उस पल ख़ुद के अन्दर छिपे बच्चे को बाहर आने देंगे कर लेंगे मन की सारी बेवकूफियां फिर से वो बचपन के सारे खेल खेलेंगे कभी आना चुपके से दो पल चुरा कर ©Nikhil Kumar #dear_friend #bestfriend