कभी खुद से झगड़ती तो कभी खुद को ही मनाने मे लग पड़ती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी हजार बाते करती तो कभी अचानक खुद मे ही कहीं गुम सी हो ज़ाती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी बेवजह ही हँसते ज़ाती तो कभी बेवजह खुद से ही मुँह फूला के बैठ ज़ाती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी तो बड़ी से बड़ी बातो को भी एक पल मे यूही समझ ज़ाती तो कभी इक छोटी सी बात पे भी नासमझी दिखाती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी तो बड़ी से बड़ी चीजों से भी ना डरती तो कभी इक छोटी सी चीज से भी डर के बच्चो जैसी नजरे छुपाती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी खुद पे चिल्लाती तो कभी खुद से ही प्यार कर बैठती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी बादलो सी बरसती तो कभी चाँदनी सी बिखरती वो अल्हड़ सी इक लड़की कभी परियों की कहानियाँ सुनाती तो कभी खुद ही मानो जैसे एक परी सी बन ज़ाती वो अल्हड़ सी इक लड़की अपने इसी बचपन ऐ अल्हड़पन अन्दाज के वजह एक मधुर संगीत सी हर दिल को छू ज़ाती वो अल्हड़ सी इक लड़की वो अल्हड़ सी इक लड़की ABYEE ©Abhay Anita Kumar alhad se ek ladki #SAD