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कभी खुद से झगड़ती तो कभी खुद को ही

कभी खुद से झगड़ती तो कभी खुद को ही 
                          मनाने मे लग पड़ती 
                                         वो अल्हड़ सी
                                                      इक लड़की 

कभी हजार बाते करती तो कभी अचानक
                          खुद मे ही कहीं गुम सी हो ज़ाती 
                                                     वो अल्हड़ सी
                                                               इक लड़की 

कभी बेवजह ही हँसते ज़ाती तो कभी बेवजह 
                         खुद से ही मुँह फूला के बैठ ज़ाती 
                                                      वो अल्हड़ सी 
                                                               इक लड़की 

कभी तो बड़ी से बड़ी बातो को भी 
एक पल मे यूही समझ ज़ाती तो कभी इक छोटी सी 
                                    बात पे भी नासमझी दिखाती 
                                                        वो अल्हड़ सी 
                                                              इक लड़की

कभी तो बड़ी से बड़ी चीजों से भी 
               ना डरती तो कभी इक छोटी सी चीज से भी
                             डर के बच्चो जैसी नजरे छुपाती 
                                                       वो अल्हड़ सी 
                                                              इक लड़की 

कभी खुद पे चिल्लाती तो कभी 
                       खुद से ही प्यार कर बैठती 
                                               वो अल्हड़ सी
                                                         इक लड़की 

कभी बादलो सी बरसती तो कभी 
                                 चाँदनी सी बिखरती 
                                                   वो अल्हड़ सी 
                                                              इक लड़की 

कभी परियों की कहानियाँ सुनाती तो कभी 
                        खुद ही मानो जैसे एक परी सी बन ज़ाती 
                                                     वो अल्हड़ सी 
                                                               इक लड़की 

अपने इसी बचपन ऐ अल्हड़पन 
               अन्दाज के वजह एक मधुर संगीत सी 
                                              हर दिल को छू ज़ाती 
                                                वो अल्हड़ सी
                                                        इक लड़की 

                                                          वो अल्हड़ सी 
                                                               इक लड़की

                                      ABYEE

©Abhay Anita Kumar alhad se ek ladki

#SAD
कभी खुद से झगड़ती तो कभी खुद को ही 
                          मनाने मे लग पड़ती 
                                         वो अल्हड़ सी
                                                      इक लड़की 

कभी हजार बाते करती तो कभी अचानक
                          खुद मे ही कहीं गुम सी हो ज़ाती 
                                                     वो अल्हड़ सी
                                                               इक लड़की 

कभी बेवजह ही हँसते ज़ाती तो कभी बेवजह 
                         खुद से ही मुँह फूला के बैठ ज़ाती 
                                                      वो अल्हड़ सी 
                                                               इक लड़की 

कभी तो बड़ी से बड़ी बातो को भी 
एक पल मे यूही समझ ज़ाती तो कभी इक छोटी सी 
                                    बात पे भी नासमझी दिखाती 
                                                        वो अल्हड़ सी 
                                                              इक लड़की

कभी तो बड़ी से बड़ी चीजों से भी 
               ना डरती तो कभी इक छोटी सी चीज से भी
                             डर के बच्चो जैसी नजरे छुपाती 
                                                       वो अल्हड़ सी 
                                                              इक लड़की 

कभी खुद पे चिल्लाती तो कभी 
                       खुद से ही प्यार कर बैठती 
                                               वो अल्हड़ सी
                                                         इक लड़की 

कभी बादलो सी बरसती तो कभी 
                                 चाँदनी सी बिखरती 
                                                   वो अल्हड़ सी 
                                                              इक लड़की 

कभी परियों की कहानियाँ सुनाती तो कभी 
                        खुद ही मानो जैसे एक परी सी बन ज़ाती 
                                                     वो अल्हड़ सी 
                                                               इक लड़की 

अपने इसी बचपन ऐ अल्हड़पन 
               अन्दाज के वजह एक मधुर संगीत सी 
                                              हर दिल को छू ज़ाती 
                                                वो अल्हड़ सी
                                                        इक लड़की 

                                                          वो अल्हड़ सी 
                                                               इक लड़की

                                      ABYEE

©Abhay Anita Kumar alhad se ek ladki

#SAD