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जिस डायरी को देख रहा हूं मैं लेट के । रक्खी हैं उस

जिस डायरी को देख रहा हूं मैं लेट के ।
रक्खी हैं उसमें  उम्र की यादें समेट के।।
आयी तुम्हारी याद मेरे॓॓ पास उस वकत।
जब तन पे डाल ली मैंने चादर समेट के ।।
जिस डायरी को देख रहा हूं मैं लेट के ।
रक्खी हैं उसमें  उम्र की यादें समेट के।।
आयी तुम्हारी याद मेरे॓॓ पास उस वकत।
जब तन पे डाल ली मैंने चादर समेट के ।।