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उन आँखों से, ईन आँखों तक, आँखों आँखों में बातें हो

उन आँखों से, ईन आँखों तक,
आँखों आँखों में बातें होने लगी हैं |
रातों को महबूब की यादों में जागती हैं ये आँखें, 
और दिन में उसकी याद में रोने लगी हैं |
महबूब को देखने को तरसे, 
ये आँखे महबूब की कहलाती हैं, 
अपना अस्तित्व खोने लगी हैं |
उन आँखों से, ईन आँखों तक, 
आँखों आँखों में बातें होने लगी हैं | आंखें ✍️✍️
उन आँखों से, ईन आँखों तक,
आँखों आँखों में बातें होने लगी हैं |
रातों को महबूब की यादों में जागती हैं ये आँखें, 
और दिन में उसकी याद में रोने लगी हैं |
महबूब को देखने को तरसे, 
ये आँखे महबूब की कहलाती हैं, 
अपना अस्तित्व खोने लगी हैं |
उन आँखों से, ईन आँखों तक, 
आँखों आँखों में बातें होने लगी हैं | आंखें ✍️✍️