किसी की नजर ना लगे मेरी मोहब्बत तुझको इसीलिये तुझे दिल मे छिपा रखा है बहुत जालिम हो चुकी है ये जमान-ए-दौर इसीलिये तुझे जमाने से छिपा रखा है है दुश्मने मोहब्बत इस जहॉ मे बहुत तेरे इसलिये तुझे बाहो मे छिपा रखा है सितारे भी टूटकर कही जमी पर न आ जाये इसीलिये तुझे बादलो मे छिपा रखा है किसी का दम न निकल जाये तुझे देखकर इसीलिये तुझे पर्दे मे छिपा रखा है कही महकना न छोड़ दे ये फूल ऐ जाने अली इसीलिये तुझे गुलिस्ताँ मे छिपा रखा है #शायरी#विचार#कविता#कहानी #एक#हसी#चेहरा#छिपा#रखा#है