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कब्र ए मुसलसल है शांत मन से सोचे कैसे, हनन इच्छाओं

कब्र ए मुसलसल है शांत मन से सोचे कैसे,
हनन इच्छाओं का हुआ है अपनों को कोसे कैसे,
कड़कने  लगी  दर्द  की  बिजलियां  मन  में,
जिजीविषा  का  बीज  सृजन  करे तो कैसे।

दर्द की सुनामी उठी है,भला मनोबल पोषित हो कैसे  ,
तड़पती भावनाओं के भँवर में भला सुकूँ रोपित हो कैसे,
इक आरज़ू मन मे कि मिटे तमस, फिर से प्रकाशमय सवेरा हो जाये,
विनाशकारी हवाएँ चली हैं, भला इसपर ये साँसे मोहित हो कैसे। सुप्रभात।
शांत मन से सोचिए,
शांत मन से कीजिए...
#शांतमन #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कब्र ए मुसलसल है शांत मन से सोचे कैसे,
हनन इच्छाओं का हुआ है अपनों को कोसे कैसे,
कड़कने  लगी  दर्द  की  बिजलियां  मन  में,
जिजीविषा  का  बीज  सृजन  करे तो कैसे।

दर्द की सुनामी उठी है,भला मनोबल पोषित हो कैसे  ,
तड़पती भावनाओं के भँवर में भला सुकूँ रोपित हो कैसे,
इक आरज़ू मन मे कि मिटे तमस, फिर से प्रकाशमय सवेरा हो जाये,
विनाशकारी हवाएँ चली हैं, भला इसपर ये साँसे मोहित हो कैसे। सुप्रभात।
शांत मन से सोचिए,
शांत मन से कीजिए...
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mrsrosysumbriade8729

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