इस दहर में ए खुदा तेरा ही तिलिस्म है देखती हूँ जहाँ वहाँ तेरा जिक्र है तेरी ये कारीगरी तुझसे ही आबाद हैं कुदरत की नुमाइंदगी गौहर-ए-नायाब हैं इस तिलिस्मी दहर में हर कोई हैं फंसा हुआ अज़ाब बन जाये कभी तो कभी बन जाये दुआ तेरे इस दहर में हम सब है कठपुतलियाँ डोर का मालिक है तू हम सब बंदी यहां इसकी शोहरत के नूर में खोया है हर कोई किसी के लबों पर हंसी तो किसी की आंखे रोई ए खुदा तेरे इस दहर-ए तिलिस्म में किसी के लिए मजा तो किसी के लिए सजा हैं किस्मत के स्याह पन्नो पर जो बदा हैं ए दहर-ए-खुदा उसमें तेरी क्या रजा है Hola cheekians🧡 Collab on this adorable bg #cycsdahr Use the word "Dahr / दहर" and write your soulful poem🧡🧡🧡🧡 Meaning 👇🏻 Universe / सृष्टि, काल