एक नन्हीं सी वो चिड़ियां घोंसला अपना बना रही थी घास - फूंस के घरौंदे को ताजमहल सा सजा रही थी देख हवा पागलपन उसका मन ही मन मुस्कुरा रही थी या फिर घास के अरमानों को बाहुबल अपना दिखा रही थी चली हवा,पेड़ झुका घोंसला चिड़ियां का फुट गया लगा पवन की लहरों को हौसला चिड़ियां का टूट गया एक पल को तो मुझको भी लगा शायद गलती चिड़ियां की थी अपने घास के मैदानों को क्यों घोड़ों से चरवा रही थी अगले ही पल उठकर चिड़ियां फिर से जंगल को जाती हैं बड़े - बड़े खाब्बो की गठरी छोटी, चोंच में भरकर लाती हैं चिड़ियां ने पिछली गलती से था इतना सब कुछ सीख लिया घास के छप्पर में सरियों सी कई टहनियों को था गूंथ दिया फिर चली हवा, और आया तुफां था पेड़ भी हवा से रूठ गया कर नतमस्तक हौसलें को चिड़ियां के अहंकार पवन का टूट गया। #success