मैं भी चलूँ ख्वाबों सा,वो भी हिले सपनों सी एक बात सुनाऊँ मैं उसे, वो कहे अपनी भी उससे गुफ़्तगू करते हुए दिमाग को भेजूं छुट्टी पर इस बाज़ार में मैं तो हूँ सिक्के सा वो है छुट्टे नोटों सी। कितनी बातें अभी बेआवाज़ हैं, कितनी हँसी अभी लापता हैं, मैं तो हुआ इस यारी का,कभी वो भी मिले अपनी सी। लहरों से उठते है ख्याल मन में कभी उसमें भी उठे सुनामी सी। एक गुमशुदा मंज़िल मिली है मुझे उसमें क्या पता उसे दिखे एक राह अपनी भी। मैं हूं बेफिक्र एक सफ़र में वो बेख़बर हो के ख़बर दे कभी अपनी भी। मैं भी चलूँ ख्वाबों सा,वो भी हिले सपनों सी एक बात सुनाऊँ मैं उसे, वो कहे अपनी भी #NojotoQuote यारी