शोख़ी चुरा लूँ लबों से तुम्हारे ललचा रहे ये दिलकश नज़ारे खड़े हुए हैं हम दरिया किनारे सर्द रात में जल रहे बदन हमारे थोड़ा तो क़रीब आओ जाना हमारे इश्क़ के दायरे कसू बाहों के सहारे शम्स भी चला रात के आग़ोश में सोने आओ दिलकश मंज़र में एक उम्र गुजारे ♥️ Challenge-883 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।