चाहत न दे सके तो बेख़ुदी दे दे,
मेरे हिस्से में भी थोड़ी-सी आशिक़ी दे दे।
ग़मों में डूबते हुए जिया हूँ कई अर्सा,
कि मेरे होंठो की वापिस मुझे हंसी दे दे।
फ़लक हो या के ज़मीं तेरा ही चेहरा देखूं,
नज़र-नज़र में मेरी ऐसी बंदगी दे दे। #ghazal#yqbaba#MyThoughts#yqdidi#ग़ज़ल#myfeelings#myquote#मेरीक़लमसे