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जनहित की रामायण - 87 आम आदमी की रोटी, छीन ले गई

जनहित की रामायण  - 87

आम आदमी की रोटी,
छीन ले गई नोट बंदी ।
हर वर्ग की समृद्धी,
चाट रही है जीएसटी ।।

कैशलैस के पर्याय बहुत,
नकद भुगतान पर पाबंदी ।
अल्प शिक्षित भारत में,
बढ़ रही साइबर डकैती ।।

आयकर जीएसटी रैड में,
अरबों नगदी ज़ब्त हो रही ।
सत्ताधारियों के आंगन में,
धरपकड़ दिखती ही नहीं ।।

आपसी लेन-देन पर 
देशभर में लगी है रोक ।
बैंक सुरक्षा सीमित है,
बचत बनने लगी है बोझ ।।

देशभक्ति सर माथे पर,
पेट को भूख लगती है ।
भूखे प्यासे सोय करोड़ों 
आज़ादी ना फबती है ।।

साठगांठ के बिना कछुना,
बंदर बाँट जब खटपटती है ।
तभी सिर्फ़ तभी धरपकड़ की,
मुहिम की ख़बरें मिलती है ।।

आवेश हिंदुस्तानी  11.08.2022

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#JanhitKiRamayan 
#Rakhi
जनहित की रामायण  - 87

आम आदमी की रोटी,
छीन ले गई नोट बंदी ।
हर वर्ग की समृद्धी,
चाट रही है जीएसटी ।।

कैशलैस के पर्याय बहुत,
नकद भुगतान पर पाबंदी ।
अल्प शिक्षित भारत में,
बढ़ रही साइबर डकैती ।।

आयकर जीएसटी रैड में,
अरबों नगदी ज़ब्त हो रही ।
सत्ताधारियों के आंगन में,
धरपकड़ दिखती ही नहीं ।।

आपसी लेन-देन पर 
देशभर में लगी है रोक ।
बैंक सुरक्षा सीमित है,
बचत बनने लगी है बोझ ।।

देशभक्ति सर माथे पर,
पेट को भूख लगती है ।
भूखे प्यासे सोय करोड़ों 
आज़ादी ना फबती है ।।

साठगांठ के बिना कछुना,
बंदर बाँट जब खटपटती है ।
तभी सिर्फ़ तभी धरपकड़ की,
मुहिम की ख़बरें मिलती है ।।

आवेश हिंदुस्तानी  11.08.2022

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#JanhitKiRamayan 
#Rakhi
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Ashok Mangal

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