छोटी सी जिंदगी जी है पर तजुर्बा बहुत है अकेला हूँ क्या पूछते हो पूछ ही लिया इतना ही बहुत है कसमकस का दौर है नाकामयाबी बेहिसाब है सुकून का तो पता नहीं पर उलझने बहुत है अपने अपने नहीं है पारायो से उम्मीद है टूटा कांच जुड़ेगा पता नहीं पर उम्मीद बहुत है छोटी सी जिंदगी जी है पर तजुर्बा बहुत है अकेला हूँ क्या पूछते हो पूछ ही लिया इतना ही बहुत है ©Mr kalyugi #Top #Life #Jindagi #Time #Mood