बदलाव भाई के विवाह के पश्चात मीना की जिंदगी के बदलाव की कहानी कृपया अनुशीर्षक में पढ़े👇👇👇👇 बदलाव चाकू के घाव भर सकते हैं मगर शब्दों के घाव नहीं भर सकते हैं मीना बहुत ही सीधी सादी और शांत सी लड़की हुआ करती थी। मीना के घर में उसके भाई जो भी कहते थे मीना बिना कुछ सवाल जवाब किए मान लेती थी उसके पापा की पोस्टिंग ज्यादातर बाहर ही बाहर रहा करती थी और वो भी आते जाते रहते थे बाकी सब एक ही जगह रहते थे कभी उनके साथ कहीं और रहने नहीं गए इसलिए कभी उनका बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिला और भाई को ही अपने पिता का दर्जा देकर उनकी बात मानने लगी मीना ने कभी उनकी किसी बात पर कोई सवाल नहीं उठाया उसे लगता था उसके भाई उसके लिए जो भी फैसला लेंगे सही ही होगा पर जैसे-जैसे मीना बड़ी होती गई उसे एहसास होने लगा कि उसका बड़ा भाई जो भी फैसले लेता था वह उसकी भलाई के लिए नहीं अपनी सहूलियत और समाज के हिसाब से लेता था उसे मीना की खुशी से ज्यादा अपनी पड़ी होती थी उसे हमेशा ही अपनी बातें ऊपर रखनी होती थी अगर मीना कभी उनकी बात नहीं मानती थी तो वो मीना से नाराज भी हो जाता था और फिर मीना उसे मनाने के लिए उसकी सारी बातें मान लेती थी क्योंकि उसे लगता था शायद वो उसके लिए अच्छा सोचते हैं या उसके लिए अच्छा ही करेगें। धीरे-धीरे करके मीना का ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गया और उसने पोस्ट ग्रेजुएशन करने की बात कही इस पर उसके मां और पापा तो बहुत ही खुश हुए क्योंकि पापा खुद ही एजुकेशन डिपार्टमेंट में ऑफिसर थे इसलिए पढ़ाई की अहमियत समझते थे। हालांकि उसका भाई भी बहुत ही पढ़ा लिखा और काबिल था लेकिन फिर भी उसे लगता था कि लड़कियों को ज्यादा नहीं पढ़ना लिखना चाहिए और उनकी शादी जल्दी कर देनी चाहिए लेकिन फिर भी क्योंकि मीना पढ़ने में अच्छी थी और पापा भी यही चाहते थे इस वजह से मीना पढ़ाई करती रही भाई के ना चाहते हुए भी उसने पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन ले लिया वह चाहते थे कि वह कॉलेज बिना जाए ही पढ़ाई करे मतलब प्राइवेट में एम.ए करे ना कि यूनिवर्सिटी या किसी कॉलेज में जा करके लेकिन पापा के कहने पर भैया मान गए और उसका एडमिशन एक नामी-गिरामी कॉलेज में हो गया और वह कॉलेज जाने लगी इसी बीच में भाई की शादी की बात चली और उनकी शादी हो गई सब बहुत ही खुश थे कि भाभी आएंगी और घर का माहौल और अच्छा हो जाएगा पर उसने महसूस किया कि उसके भाई का व्यवहार सबके प्रति कुछ अधिक बदल सा गया था उनको केवल अपनी पत्नी की ही बातें सही लगती थी क्योंकि वह जब भी कॉलेज से लौट कर आती थी तो उससे बस यही कहते आज कहां से घूम कर आ रही हो और किस से मिलकर आ रही हो इतनी देर कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है मैं भी जानता हूं शुरु- शुरु में तो उसे लगा कि मजाक करते हैं इसलिए ध्यान नहीं देती थी धीरे-धीरे यह उनकी आदत बनती चली गई अब तो उनके साथ- साथ भाभी भी मजाक में कहने लगी कि आज कौन सी मूवी देखी हालांकि भाभी पढ़ी लिखी थी फिर भी न जाने उन्हें क्यूं उसका और उसकी छोटी बहन का पढ़ना लिखना पसंद नहीं आता था उनकी भी यही इच्छा थी कि शादी जल्दी से जल्दी करके इन लोगों को यहां से विदा कर दो और भी कई ऐसी ऐसी बातें कहते थे जिनको सुनकर बहुत दु:ख होता था लेकिन कुछ कहते नहीं थे बस शांत रह जाते थी लेकिन अंदर ही अंदर घुटती रहती थी। हालांकि भाई अपनी सालियों को पढ़ाने पर हमेशा ही जोर देते रहे और उनकी शादियां भी उनकी मर्जी से ही करवाने में उनका साथ दिया मीना हमेशा यही सोचती कि जो नियम हमारे लिए गलत है वह दूसरों के लिए सही कैसे हो सकते है मीना और उसकी बहन दोनों की शादी हो चुकी है मगर घर पर उनका आना जाना ना के बराबर ही होता है या बिल्कुल भी नहीं होता है क्योंकि अब घर में उसके मां पापा की चलती नहीं है और भाई भाभी का व्यवहार उन लोग के प्रति बिल्कुल भी अच्छा नहीं है आज भी जब वो दोनों ये बात सोचती हैं कि जो भाई उन पर जान छिड़कते थे उनकी हर एक बात मानते थे आज वही इतना पराए हो गए हैं कि उन्हें देखना तक नहीं चाहते और उनके कहे गए एक-एक शब्द आज भी दोनो बहनों को अक्षरस: याद हैं और अनायास याद आ करके दिल के जख्म को और बढ़ा देते हैं वे आज भी यही सोचती हैं कि अपने घर की लड़कियों और दूसरे घर की लड़कियां में इतना अंतर क्यों किया जाता है क्यों आज भी बहुत से घरों की लड़कियां अपनी मर्जी से पढ़ाई पूरी नहीं कर सकती हैं और ना ही अपने मनपसंद साथी के साथ शादी कर सकती हैं।