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वक़्त बचा कितना ये कौन बताये यहाँ हर किसी को अपनी

वक़्त बचा कितना
ये कौन बताये
यहाँ हर किसी को 
अपनी पड़ी है

कुछ लोग है जिन्हें
हम बेवक़्त याद आ रहे है
इसका मतलब हमारी
जरूरतन आ पड़ी है

ये दर कब-किसकदर ढहे
इस उम्मीद में नज़रे गड़ाए खड़े है

ये बादल ,सूरज और हवाएं
जाने किसे देख मुस्कुरा रहे है
हमे बस इतना है मालूम
वो सामने है मेरे
और हम खामोश खड़े है।। एक #मैं -एक #वो ।।
वक़्त बचा कितना
ये कौन बताये
यहाँ हर किसी को 
अपनी पड़ी है

कुछ लोग है जिन्हें
हम बेवक़्त याद आ रहे है
इसका मतलब हमारी
जरूरतन आ पड़ी है

ये दर कब-किसकदर ढहे
इस उम्मीद में नज़रे गड़ाए खड़े है

ये बादल ,सूरज और हवाएं
जाने किसे देख मुस्कुरा रहे है
हमे बस इतना है मालूम
वो सामने है मेरे
और हम खामोश खड़े है।। एक #मैं -एक #वो ।।
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abhisri095

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