a-person-standing-on-a-beach-at-sunset "प्रतिभा पाटिल प्रतिभाशाली" (अबोध विद्यार्थी लतामन माली) वो मात्र प्रतिभा नहीं प्रतिभाशाली हैं । गोरे ने समझा ही नहीं वो भाग्यशाली हैं ।। स्वर्ण सुन्दरी अमृत प्रीतम की प्याली हैं । वहीं सरस्वती लक्ष्मी पार्वती काली हैं।। काश पढ़ लेते उसके नयन बहते अंसुवन की पावन स्नेह धारा। होता नहीं अंधेरा जग जीवन में उज्जवल प्रकाश होता उजियारा।। झूठी मुस्कानों के पिछे दौड़ते रहे चमक धमक को सदा निहारते रहे। फिर भी पा न सका सुकून कहीं थककर बैठ किसी से न कुछ कहे।। सोचते हैं बड़ी भूल किए हैं। खुद से खुद को दुःख दिए हैं ।। दूसरों की महता अपमान किए उल्टी बेरहम हवा का रुख लिए हैं।। कोमल ह्रदय कैसे टूटे उसके रोई होगी छुप सिसके सिसके। लगीं वो भारती भाषा की भावना पता नहीं कब कैसे पीछे घिसके।। देखा नहीं उसकी नौ शून्यता को मीठे स्वर भाव मधुर मित्रता को। मैं दंभी कठोर निष्ठुर दिल ठहरा न छु पाया चरण उस माता को।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi #SunSet #poem✍🧡🧡💛 #kavita