आँगन में लीन समाधियों ने अभी आखिरी बार आलिंगन को स्वरबद्ध भी नहीं किया था और तभी आवाज दी कुछ पवित्र आत्माओं ने ठहरो साथ चलेंगे उस एक विचरण पर निश्चित और अनिश्चित के बीच रंग और संग से परे जुनून और जिद्द से दूर मोहब्बत मोह और किलकारियों में लिपटे उस एक एक पल को बस यहीं हाँ यहीं छोड़ चित्कार के बीच हाँ चित्कार के बीच आखिर कसम खाई थी माँ भारती के नाम उड़ जाना पड़े बेशक आस्तीनों के बारुद से अखण्ड हाँ अखण्ड होगा हमारा हम सबका समर्पण आखिर सैनिक हे जननी तेरे सैनिक हैं हम🇮🇳 #daminiquote ✍️ 🌠 आँगन में लीन समाधियों ने अभी आखिरी बार आलिंगन को स्वरबद्ध भी नहीं किया था और तभी आवाज दी कुछ पवित्र आत्माओं ने ठहरो साथ चलेंगे उस एक विचरण पर