रूह बेनकाब थी मैं एक सवाल था कच्ची उम्र थी बस छोटा सा ख्वाब था मिलने की आस न थी फिर भी दौड़ गया जैसे मेरा ही उसे इंतजार था टूट गया बह गया ख्वाहिश रखना क्या यही मेरी गुनाह थी। #मेरे_जज्बात008 #अतीत_के_पन्ने #टूटा हूं तब शायद नीखरा हूं #संवेदनशील #कामिल_कवि #yqdidi #yqbaba #kunu