आज़ादी मिलने से आज़ाद तो हुऐ, लेकिन जितने आज़ाद कुर्बान हुऐ,उनका आज भी सपना पूरा ना हो सका. जो बलिदान अमर हुआ है क्या उसकी आज भी जरूरत है? पता करिये देश को बहुत जरूरी है। अंग्रेजो से छुटकारा मतलब आजादी थोड़ी ही थी, ये आज़ादी तो हर विचार, व्यक्ति, समानता, न्याय, और जातिवाद से थी, लेकिन आजादी और उसके बाद जो राष्ट्रवाद का नया नारा बन गया उससे नए आजादी और देशप्रेमी पैदा हुए. आज जहां शिक्षा, जाती, और समानता की बातें कोई नहीं करता, मगर जाती और धर्म के नाम पर आज देश प्रेम उभर रहा है. मगर सोचने वाली बात है अगर यही आजादी थी तो क्या वो आज़ादी झुटी थी, जिसने इतने शुर वीर और ज्ञानी लोक शहीद हो गए. अगर हा तो फिर वो अंग्रेजो का शासन काल अच्छा था जहां जाती व्यवस्था को ना मानते हुऐ शिक्षा का अवसर तो प्रदान किया था. बस एक ये सोच है मेरी जहां राष्ट्र निर्माण के लिए आज युवाओं पर ध्यान देते हुए, रोजगार और शिक्षा की बाते अगर की जाए, और इनको सही मार्ग पर ले जाएं तो यह आजादी यकीनन सही मायने में सफल होंगी. वो एक शेर याद आ गया मुझे, अभी भी जिसका खून ना खौला वो खून नहीं पानी है, जो देश के काम ना आए वो बेकार जवानी है। ¶विशाल गायकवाड #happyindependenceday #jayhind🇮🇳🇮🇳🇮🇳 #afsanaekshayarka