ज़िंदगी का गीत यूँ गुनगुनाते जाइये कुछ सुनिये औ कुछ सुनाते जाइये। अक्सर इधर से गुजरते हुए देखा हूँ कभी मेरी महफ़िल को भी सजाइये। न हो कोई वाजिब बहाना तो 'अनाम' बेवज़ह ही बारिश की मानिंद आइये। चाहता हूँ तुम्हें नैन भर कर निरखना हमेशा के लिए सपनों में बस जाइये। वैसे तुम्हारी याद का ऐ दिल क्या करे कोशिश करें कि अब तो भूल जाइये। मुझे अक्सर बहुत उम्दा ख़्याल आते कभी अपना भी हाल-ए-दिल सुनाइये। तुम्हारे चर्चे शहर में सरे आम हैं बहुत कभी खुल के अपनी कैफ़ियत बताइये। #shamaurtanhai #282 #anam #365days365quotes