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मैंने दरवाजा खोला तो मेरी आंखों में खुशी के अतिरेक

मैंने दरवाजा खोला तो मेरी आंखों में
खुशी के अतिरेक से आंसू आ गए।
दरवाजे पर मेरे माता-पिता खड़े थे।
मैं उन्हें बहुत याद कर रही थी,
कुछ दिनों से मेरी तबियत खराब थी
कुछ भी खाने का मन नहीं करता था
मगर ससुराल वालों को लगता था
 ये सब काम से बचने के बहाने हैं
बुखार और कमजोरी के बाबजूद
 किचन की सारी जिम्मेदारी मेरी थी
जब मायके तक यह बात गई तो
मेरे माता-पिता मुझे अपने साथ ले आए।

©Nilam Agarwalla
  #दरवाजा