एक तारा खिला, फिर अमासी रात में। झरोखे सा खुला, मन स्नेह बरसात में। सीले नैना चमके, गुनगुनी सी धूप बन। कोरी काया दमके, कंचनमय रूप बन। डूबी रैना बिखरी है पलकों पर ओस सी, चहके स्वप्न सारे ही, भोर बन उजास में। ©Smriti_Mukht_iiha🌠 गीत बहता श्वांस में!