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तुम चाहते हो क्या चुच-चाप बैठ जाऊँ जुल्मों सितम क

तुम चाहते हो क्या चुच-चाप बैठ जाऊँ 
जुल्मों सितम को तेरे न किसी से बताऊँ
करता रहे दरिंदगी तू मेरे साथ हरपल 
फिर भी मैं हमेशा दुनियां से यह छिपाऊँ। 

तू चाहता है कदमों को मैं रखूं तेरे इशारे 
हर काम करूँ ऐसा मन मुताबिक तुम्हारे 
हर फैसले पर तेरे मैं तालियाँ बजाऊँ 
सिर अपना तेरे कदमों में हरपल झुकाऊँ। 

इरादे मेरे बुलंद हैं, हर चाहत है जवान
कितनी भी कर ले कोशिश न हूँगा परेशान 
तू चाहता है हर जंग मैं तुझसे हार जाऊँ
तेरे विजय का पताका दुनियां में फहराऊँ। 

तुच्छ सोच अपनी लेकर क्यों उलझता है
मेरी सफलताओं पर दिल तेरा सुलगता है
न कोई अहसान है न सोचता है पाऊँ
फिर क्यों सोचता है गुणगान तेरा गाऊँ।

©Amit Mishra
  चुपचाप बैठ जाऊँ
amitmishra1827

Amit Mishra

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चुपचाप बैठ जाऊँ #Shayari

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