उड़ते परिन्दों के ज़ख्म लिखता जो बिखरे थे पर जमीं पर, उसे भी गिनता मैं छिन गये मिरे हाथ से कलम वरना रक्त को स्याही चुनता मैं। छिन गये मिरे हाथ से कलम