_सूरज की किरणें_ प्रातः काल की सूर्य की किरणें, होती इतनी मधुर मानो, धरती स्वर्ग सी लगने लगती है ,फिर से उत्साह ओर उमग भरके एक नई सुबह आती। प्रातः काल की सूरज की किरणों का रंग, ऐसा लगता मानो आसमान पर, सोने की चादर बिछ गई हो। दिन भर की मेहनत का जब व्यक्ति ,अंधकार में चांद तारों के नीचे एक सुकून का अनुभव करता, रात्रि की चादर में लिपट कर जब वह चैन की नींद सोता, फिर पुनः जोश और उत्साह से मेहनत करने को। फिर पुनः आलस्य को त्याग कर मेहनत पर है लग जाते सूर्य की मधुर किरणे लगती उनको प्यारी जिनको वह मेहनत बड़ी दुलारी। My little try again " Suraj ki kirne"