माना कि थक गए हैं हम लेकिन हारे तो नहीं, थक कर बैठ जाएं इतने भी बेचारे तो नहीं, उठेंगे फिर से अपनों का दामन थाम कर, ज़िंदगी जियेंगे अपनी शर्तों पर किसी ग़ैर के इशारे पे नहीं । ©Vishu #Vishu #Shayri #Cityscape