भाई सा कोई नहीं रावण जब रणभूमि मृत्यु सैय्या पर अंतिम सांस ले रहा था!तब उसने श्रीराम से कहा था! राम मैं तुमसे हर बात में श्रेष्ठ हुं!जाति मेरी ब्राह्मण है जो तुमसे श्रेष्ठ है!आयु में मैं तुमसे बड़ा हुं! मेरा कुटुंब तुम्हारे कुटुंब से बड़ा है!मेरा बैभव तूमसे अधिक है!तुम्हारा महल स्वर्णजडित है पर मेरी पुरी लंका हीं स्वर्णनगरी है!मैं बल पराक्रम में भी तुमसे श्रेष्ठ हुं!मेरा राज्य तुम्हारे राज्य से बड़ा है!ज्ञान और तपस्या से मैं तुमसे श्रेष्ठ हुं!इतनी श्रेष्ठता होने पर भी मैं रणभूमि में तुमसे परास्त हो गया!और वो भी सिर्फ इस कारण कि तुम्हारा भाई तुम्हारे सांथ है!और मेरा भाई मेरे खिलाफ बिना भाई के सांथ के जब रावण हार सकता है!तो हम किस घमंड में हैं! सदा सांथ रहिए सदा विजयी रहिये सभी को कोशिश करनी चाहिए!कि कभी परिवार टुटे नहीं क्योंकि-किसी भी पेंड़ के कटने का किस्सा नहीं होता!अगर कुल्हाड़ी के पिछे लकड़ी का हिस्सा नहीं होता!! ©Prakash Vats Dubey #Dosti Neha mallhotra k Smile Amresh Krishna Praveen Jain "पल्लव" Bandna Ji