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#OpenPoetry बुझी नहीं थी जब सीने कि आग रह गई थी त

#OpenPoetry 
बुझी नहीं थी जब सीने कि आग
रह गई थी तड़प तड़प कर

रोयी थी आंखे -
कभी सिसक - सिसक कर
कभी फफक - फफक कर #OpenPoetry ro
#OpenPoetry 
बुझी नहीं थी जब सीने कि आग
रह गई थी तड़प तड़प कर

रोयी थी आंखे -
कभी सिसक - सिसक कर
कभी फफक - फफक कर #OpenPoetry ro