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उसकी तारीफ में क्या लिखे मंजिल कहे उससे, या बर्बाद

उसकी तारीफ में क्या लिखे
मंजिल कहे उससे, या बर्बादी की कहानी कहे उससे

बचपन का शौक था आग से खेलने चले थे
उससे देख पाता चला की आग क्या है

अब ना उसका शौक रहा ना आग का
ना उससे कोई रिश्ता रहा ना कोई बदला

बच्चे थे, शौक था,
ना बचपन रहा ना शौक। उसकी तारीफ में क्या लिखे!
उसकी तारीफ में क्या लिखे
मंजिल कहे उससे, या बर्बादी की कहानी कहे उससे

बचपन का शौक था आग से खेलने चले थे
उससे देख पाता चला की आग क्या है

अब ना उसका शौक रहा ना आग का
ना उससे कोई रिश्ता रहा ना कोई बदला

बच्चे थे, शौक था,
ना बचपन रहा ना शौक। उसकी तारीफ में क्या लिखे!