बड़ी दुनिया बनाने की ख़्वाहिश नही रखता तुम्हारी तरह चेहरे पे नुमाइश नही रखता मेरा बच्चा अभी तक उम्र में बच्चा है लेकिन तुम्हारे बच्चे सा साहब फ़रमाइश नही रखता बड़ी गाड़ी बड़ा रूतबा बड़ा इक छत मगर क़ब्र आज भी कोई पैमाइश नही रखता धूप मिट्टी हवा पानी तो अपना साज है "वरुण" मैं तुम्हारी तरह महलों की पैदाइश नही रखता © वरुण " विमला " " ग़ज़ल "