शांत है तूफान हम भंवर की तलाश में निकलें है लौटेंगे साथ लेकर ही उसे जिसकी तलाश में निकलें है बादलों में छुपने वाले चांद को देखने के इंतजार में कहीं बहुत बहुत दूर निकल आए है अपने घाट से कमाल की एकता है धरती आकाश में दिखते हैं मिलते हुए पर हाथ नहीं आते बबली गुर्जर ©Babli Gurjar शायरी