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कितनी खामियां थी अबतक मेरे अंदर एक तू ही है जिसने

कितनी खामियां थी अबतक मेरे अंदर
एक तू ही है जिसने मुझे बखुबी पहचाना है
काँटों से होकर रास्ता तय किया है मैने
शायद उन्ही काँटों का मेरा दिल निशाना है।
 #Image from internet
कितनी खामियां थी अबतक मेरे अंदर
एक तू ही है जिसने मुझे बखुबी पहचाना है
काँटों से होकर रास्ता तय किया है मैने
शायद उन्ही काँटों का मेरा दिल निशाना है।
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