राजा द्रुपद की बेटी यज्ञ कुंड में जन्मी थी पांचाली। स्वयंवर में मछली की आंख का भेदन करना था। अर्जुन ने लक्ष्य को साध कर द्रौपदी का वरण किया। घर आकर अर्जुन ने मां से कहा भिक्षा मिली अनोखी। माता ने बिना देखे ही आपस में बांट लेने को कहा। माता की अटल आज्ञा को पांडवों ने शिरोधार्य की। पांचाली ने भी मां का आशीर्वाद समझकर स्वीकारा। हस्तिनापुर आकर पतियों के साथ खुशी से रहने लगी। धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से द्युतक्रीड़ा खेलने का संदेश भेजा। दुर्योधन ने अपने संग मामा शकुनि को खेलने बैठाया। पांडव राज- पाट, भाइयों के संग, स्वयं को भी हार गए। अंतिम चाल में युधिष्ठिर ने पांचाली को भी दांव पर लगाया। नैतिकता की मर्यादा तोड़ दुशासन द्रौपदी को सभा में लाया। दुर्योधन ने द्रौपदी को निर्वस्त्र करने का फरमान था सुनाया। भरी सभा में किसी ने भी द्रौपदी का साथ ना था निभाया। गिरधारी को याद किया चीर को बढ़ा कर लाज को बचाया। वनवास में भी द्रौपदी ने पांडवों का पूरा-पूरा साथ निभाया। अज्ञातवास में वेश बदल दासी बन रानी की सेवा में वर्ष बिताया। महाभारत के युद्ध और कौरवों के वंश के विनाश का कारण बनी। कृष्ण को सखा और कृष्ण की बहन सुभद्रा को छोटी बहन बनाया। महाभारत के युद्ध में पांचाली ने अपने पांचों पुत्रों को गंवाया। महाभारत के युद्ध में पांडवों ने धर्म की अधर्म पर जीत प्राप्त की। -"Ek Soch" #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #mahabharat_charitra #kumari_chali_panchali Time limit till 11:59 pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...