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मेरे घर मे दो पौधे शनैः शनैः देखरेख में बढ़ते हुए ए

मेरे घर मे दो पौधे
शनैः शनैः देखरेख में बढ़ते हुए
एक पौधे से अधिक लगाव के चलते
देती रही उसको ज़्यादा वक़्त और ध्यान
जल्दी बढ़ने की अपेक्षा
और देखभाल की अधिकता से
मुरझाने लगा मेरा प्रिय पौधा
दूसरा पौधा ख़ुद ही बढ़ 
लहलहाता मुस्कुरा रहा था,
यकायक मेरी हैरान परेशान नज़रों के सामने 
मरा हुआ पौधा परिवर्तित हो गया
रोक-टोक अपेक्षाओं के बोझ से लदे
.
.
कुछ मृत प्रायः रिश्ते 
और कुछ मुरझाये बच्चों की शक्ल में। खुल कर साँस लेने देना भी ज़रूरी होता है अक्सर....

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मेरे घर मे दो पौधे
शनैः शनैः देखरेख में बढ़ते हुए
एक पौधे से अधिक लगाव के चलते
देती रही उसको ज़्यादा वक़्त और ध्यान
जल्दी बढ़ने की अपेक्षा
और देखभाल की अधिकता से
मुरझाने लगा मेरा प्रिय पौधा
दूसरा पौधा ख़ुद ही बढ़ 
लहलहाता मुस्कुरा रहा था,
यकायक मेरी हैरान परेशान नज़रों के सामने 
मरा हुआ पौधा परिवर्तित हो गया
रोक-टोक अपेक्षाओं के बोझ से लदे
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कुछ मृत प्रायः रिश्ते 
और कुछ मुरझाये बच्चों की शक्ल में। खुल कर साँस लेने देना भी ज़रूरी होता है अक्सर....

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