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जलियाँवाल बाग सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई

जलियाँवाल बाग 


सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया, 
जलियाँ वाले बाग का मैटर, रोककर मैंने पाठ करा।। 

13  तारिख 4 का महीना काला दिन और रात गई, 
ठांय-ठांय करके चाली चाली गोली, बेरा ना कितनी लाश पड़ी, 
गोरे पापी हाँसे थे और निर्दोशा की जांन गई, 
धक्के ते तुम राज करनीयो के मर यो थारा जमीर गया 
सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया।। 

कोई आड़े पड़ा कोई उड़े पड़ा घा ओट रया, 
देश के कितने वीर  थे वीर सिपाही वो कुआ बेरी बोल रया
कैडर पड़ के मैरे वो सांडर्स बैरी ने किसा काम करा,
सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया, 

गितनी कोना कितने शहीद हुए,
 नारी बालक बूढ़े  युवा भीषण युद्ध मैं लाश पड़ी, 
तन की कई छटांक पड़ी
 और टुकडा़ मैं खिंडा़ शरीर पड़ा, 
बैठा बैठा सोचे मंन्ढोलिया वीर ने दिवाई आजादी, 
फिर चरखे नै क्या सीर करा, 
सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया।। 


✒-Mandholia #love #shayri #loveyou #foryou #aapkeliye
जलियाँवाल बाग 


सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया, 
जलियाँ वाले बाग का मैटर, रोककर मैंने पाठ करा।। 

13  तारिख 4 का महीना काला दिन और रात गई, 
ठांय-ठांय करके चाली चाली गोली, बेरा ना कितनी लाश पड़ी, 
गोरे पापी हाँसे थे और निर्दोशा की जांन गई, 
धक्के ते तुम राज करनीयो के मर यो थारा जमीर गया 
सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया।। 

कोई आड़े पड़ा कोई उड़े पड़ा घा ओट रया, 
देश के कितने वीर  थे वीर सिपाही वो कुआ बेरी बोल रया
कैडर पड़ के मैरे वो सांडर्स बैरी ने किसा काम करा,
सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया, 

गितनी कोना कितने शहीद हुए,
 नारी बालक बूढ़े  युवा भीषण युद्ध मैं लाश पड़ी, 
तन की कई छटांक पड़ी
 और टुकडा़ मैं खिंडा़ शरीर पड़ा, 
बैठा बैठा सोचे मंन्ढोलिया वीर ने दिवाई आजादी, 
फिर चरखे नै क्या सीर करा, 
सहम गया था मेरा दिल भी, भीतर ताई  कांप गया।। 


✒-Mandholia #love #shayri #loveyou #foryou #aapkeliye