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संकल्प एक समय लांग जब की मेहनत, फिर और निचोड़ा इस

संकल्प

एक समय लांग जब की मेहनत, फिर और निचोड़ा इस मन को,
हर कण से ख़ुद में भरा जुनूं, फिर झुलसा दिया है इस तन को,
बस मन में भरा है लक्ष्य एक, कि जीवन का उद्धार करूं,
मुझे सब करना इस जीवन में, पर पहले ख़ुद से प्यार करूं,

देखूं उस कांच में जहां मुझे, इस अंतर्मन का मैल दिखे,
और काट फेंक दूं वो रिश्ते, जिनसे निरवाना गैल दिखे,
क्या छोड़ चलूं उन लोगों को, जो स्वप्न में बाधा लाते हों,
और मार फेंक दूं शोर सभी, जो मेरी हार को गाते हों,

इस दुनिया भर की मंशा में, मुझसे मैं जीत तो जाऊंगा,
पर क्या मालूम किन रस्तों पे, किस किसको खोता जाऊंगा,

फिर उठा मैं एक दिन भोर में तो, बस ढीट किया अपने मन को,
मैंने ठान लिया कि श्रेष्ठ करूं, इस व्याकुल विचलित जीवन को,
सीख़ वही फिर याद मुझे, आती है उन सब पर्वत से,
होते ऊंची चोटी पे हम, छोटे पत्थर की करवट से,

हां चलता चल ना सोच यही, सब तन्हा छोड़ के जाएंगे,
कुछ साथ कृष्ण सरी के हैं, चोटी तक साथ निभाएंगे ।

©Shivam Nahar #alone #संकल्प #हिंदी #कविता #Nojoto
संकल्प

एक समय लांग जब की मेहनत, फिर और निचोड़ा इस मन को,
हर कण से ख़ुद में भरा जुनूं, फिर झुलसा दिया है इस तन को,
बस मन में भरा है लक्ष्य एक, कि जीवन का उद्धार करूं,
मुझे सब करना इस जीवन में, पर पहले ख़ुद से प्यार करूं,

देखूं उस कांच में जहां मुझे, इस अंतर्मन का मैल दिखे,
और काट फेंक दूं वो रिश्ते, जिनसे निरवाना गैल दिखे,
क्या छोड़ चलूं उन लोगों को, जो स्वप्न में बाधा लाते हों,
और मार फेंक दूं शोर सभी, जो मेरी हार को गाते हों,

इस दुनिया भर की मंशा में, मुझसे मैं जीत तो जाऊंगा,
पर क्या मालूम किन रस्तों पे, किस किसको खोता जाऊंगा,

फिर उठा मैं एक दिन भोर में तो, बस ढीट किया अपने मन को,
मैंने ठान लिया कि श्रेष्ठ करूं, इस व्याकुल विचलित जीवन को,
सीख़ वही फिर याद मुझे, आती है उन सब पर्वत से,
होते ऊंची चोटी पे हम, छोटे पत्थर की करवट से,

हां चलता चल ना सोच यही, सब तन्हा छोड़ के जाएंगे,
कुछ साथ कृष्ण सरी के हैं, चोटी तक साथ निभाएंगे ।

©Shivam Nahar #alone #संकल्प #हिंदी #कविता #Nojoto
shivamnahar5045

Shivam Nahar

Bronze Star
Growing Creator

alone संकल्प हिंदी कविता #