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कस्तूरी मृग अज्ञानी हो वन में भटक रहा, अपने भीतर

कस्तूरी मृग अज्ञानी हो वन में भटक रहा, 
अपने भीतर स्थित कस्तूरी की तृष्णा में, 
मानव भी दुनिया का हर कोना भटक रहा
स्वआत्मा में व्याप्त परम ईश्वर की खोज में।

©Sonal Panwar
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