ये घाम हा अब्बड़ सुहाथे जी । जाड़ मा गोड़ हाथ हा कपकपाथे जी । गोरसी तीर मा बईठ के बाबू दाई, अपन तीर मा आगी तापे बर बलाथे जी । अपन पाछू पुराना गोठ ला दाई बाबू हमन लईका मन करा गोठियाथे जी । उखर गुरतुर गोठ ला सुनके, संगवारी हमर जिवरा हा गदगद हो जाथे जी । कभू कभू तो अपन नान्हे पन के बात ला बताथे जी । हांस हांस के गोठियाथे, अऊ संग मा हमन ला हंसाथे जी । गोरसी तीर मा बईठ के बाबू दाई अपन तीर मा आगी तापे बर बलाथे जी । आगीं तापे बर बलाथे जी । ©_judwaa_writes_ ये घाम हा अब्बड़ सुहाथे जी । जाड़ मा गोड़ हाथ हा कपकपाथे जी । गोरसी तीर मा बईठ के बाबू दाई, अपन तीर मा आगी तापे बर बलाथे जी । अपन पाछू पुराना गोठ ला दाई बाबू हमन लईका मन करा गोठियाथे जी । उखर गुरतुर गोठ ला सुनके, संगवारी