फ़रेब से उसने जाने कैसे मेरा विश्वास जीत लिया, बेइंतहा परवाह करके उसने मेरा दिल जीत लिया। उसकी मीठी मीठी बातों पर मैंने विश्वास कर लिया, दिला कर भरोसा प्यार का मुझे अपना बना लिया। जाने क्या मजबूरी थी कि उसने मेरा दिल तोड़ दिया, दिखा कर खुद को बेवफा उसने मुझसे मुंँह मोड़ लिया। चाहत सच्ची थी उसकी उसकी आंँखों में दिखता था, जाने क्यों रिश्ता तोड़ कर खुद को बेवफा बना लिया। जाते-जाते दिल उसका भी दुखा था ये जानते हैं हम, वो सच्चा फ़रेबी था हमने अपने दिल को समझा लिया। ♥️ Challenge-611 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।