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पा लिया वो देह मेरी, किन्तु मेरा मन न पाया। कृष्ण

पा लिया वो देह मेरी, किन्तु मेरा मन न पाया।
कृष्ण की मैं साधिका हूँ,  कृष्ण को दिल में बसाया।।
इस जमाने में कहो कब, प्रेम को सम्मान मिलता ।
जोगिनी मीरा के हिस्से में सदा विष-पात्र आया  ।।

©Anjali Srivastav पा लिया वो देह मेरी, किन्तु मेरा मन न पाया।
कृष्ण की मैं साधिका हूँ,  कृष्ण को दिल में बसाया।।
इस जमाने में कहो कब, प्रेम को सम्मान मिलता ।
जोगिनी मीरा के हिस्से में सदा विष-पात्र आया  ।।
पा लिया वो देह मेरी, किन्तु मेरा मन न पाया।
कृष्ण की मैं साधिका हूँ,  कृष्ण को दिल में बसाया।।
इस जमाने में कहो कब, प्रेम को सम्मान मिलता ।
जोगिनी मीरा के हिस्से में सदा विष-पात्र आया  ।।

©Anjali Srivastav पा लिया वो देह मेरी, किन्तु मेरा मन न पाया।
कृष्ण की मैं साधिका हूँ,  कृष्ण को दिल में बसाया।।
इस जमाने में कहो कब, प्रेम को सम्मान मिलता ।
जोगिनी मीरा के हिस्से में सदा विष-पात्र आया  ।।