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रह-रहकर आ जाती याद, ममता भरी वो प्यार की थपकी, बा

रह-रहकर आ जाती याद, ममता भरी वो प्यार की थपकी, 
बात-बात पे चलती होगी उन्हें, फिर वो यादों की हिचकी। 

उनकी आवाज़ सुने बिना सुबह आँखें भी खुलती नहीं थी, 
अब आती भी नहीं है, वैसी सुकून वाली नींद की झपकी। 

रोज़-रोज़ पूछ कर हाल,  फ़िक्र जताना भी कहाँ आता है, 
खाली कमरे में सोचती होंगी, कैसी होगी उनकी लड़की। 

सबका रखती है ध्यान, देखती नहीं कभी अपनी थकान, 
रात-दिन खुली रखती है अपने प्यार-दुलार की खिड़की। 

माँ तो माँ है 'धुन', दवा-दुआ से कम नहीं उनकी मुस्कान, 
ईश्वर भी करें सम्मान, सुन नहीं सकते वो उनकी सिसकी। ♥️ Challenge-548 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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रह-रहकर आ जाती याद, ममता भरी वो प्यार की थपकी, 
बात-बात पे चलती होगी उन्हें, फिर वो यादों की हिचकी। 

उनकी आवाज़ सुने बिना सुबह आँखें भी खुलती नहीं थी, 
अब आती भी नहीं है, वैसी सुकून वाली नींद की झपकी। 

रोज़-रोज़ पूछ कर हाल,  फ़िक्र जताना भी कहाँ आता है, 
खाली कमरे में सोचती होंगी, कैसी होगी उनकी लड़की। 

सबका रखती है ध्यान, देखती नहीं कभी अपनी थकान, 
रात-दिन खुली रखती है अपने प्यार-दुलार की खिड़की। 

माँ तो माँ है 'धुन', दवा-दुआ से कम नहीं उनकी मुस्कान, 
ईश्वर भी करें सम्मान, सुन नहीं सकते वो उनकी सिसकी। ♥️ Challenge-548 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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