कविता
मन विमोहन नगर की ये संवेदिता।
गुनगुनाती है जीवन की गोपन कथा।
चंद शब्दों व छंदों का आश्रय लिए।
भाव अविरल है उन्मुक्त सी "कविता"।
एक सागर सा गागर है, शीतल सृजन।
है कभी वह अगन जिससे होती ज्वलन। #Poetry#WorldPoetryDay#nojotohindi#hindipoetry#worldpoetryDay2023