बाल दिवस पर 94.3 Radio One Pune पर परफॉर्म की हुई रचना।। कभी मासूम कभी शैतान होते है बच्चे, हर एक माँ बाप की जान होते है बच्चे, कभी गम तो कभी मुस्कान से भर देते, या फरिस्ता या भगवान् होते है बच्चे, उम्मीद ना परवाह कुछ कर गुज़रने की, अपने ही सपनो की उड़ान होते है बच्चे, कभी मिटटी में घर कागज में कस्ती ढूंढते, सागर की लहरों से अनजान होते है बच्चे, बयां करते है खिलोनो से अपनी बाते, सच से परे इतने नादान होते है बच्चे, काश लौट आता मेरा बचपना "कमल", दस्तूर है आखिर जवान होते है बच्चे, कमल कर्मा"के.के." बाल दिवस पर 94.3 Radio One Pune पर परफॉर्म की हुई रचना।। कभी मासूम कभी शैतान होते है बच्चे, हर एक माँ बाप की जान होते है बच्चे, कभी गम तो कभी मुस्कान से भर देते, या फरिस्ता या भगवान् होते है बच्चे,