बड़ी मुश्किलों से वो इस अहसान तक पहुंंचे शर्म और हया इस तरह परवान तक पहुंचे कहानी बयां कर रही थी हाथों की लकीरें इश्क की वो पहल अपने अंजाम तक पहुंंचे नजरें जब मिलीं तो कहने को क्या बचा बड़ी मुश्किलों से अल्फाज़ भी जुबान तक पंहुचे चुप ही रहो अब कुछ ना कहो लबों से लबों तक पैग़ाम ये पहुंचे बिखर रही है वो बनके खुशबू के जैसी मुझमें हवा के साथ मेरा उन तक सलाम ये पहुंचे उनके बिना भी जीना कोई जीना तो नहीं इश्क जिस्म से रुह के अंजाम तक पहुंचे... © trehan abhishek OPEN FOR COLLAB✨ #ATgirlbg618 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.