आया था इस शहर में एक मासूम सी शक्ल लेकर पर वक़्त गुज़ारा मैंने बेक़ल होकर चेहरे पर रौनक थी दिल में इमानी थी वक़्त गुजरता गया और मै भी बदलता गया हर कदम पर खुद की फरमानी थी इस दौर में जाना इंसान क्या चीज़ है शक्ल तो सभी की बनूर थी पर ज़हनों में बेईमानी थी फिर मैंने खुद में भी झांक कर देखा एक नजर तो आरिज़ अली तौहीद तुझमें भी कुछ बेईमानी थी…... -आरिज़ अली तौहीद #NojotoQuote Mujhme bhi kuch Beimaani thi