Nojoto: Largest Storytelling Platform

चिता की राख ठंडी हुई सीने की आग सुलगती रही अरमान भ

चिता की राख ठंडी हुई सीने की आग सुलगती रही
अरमान भस्म कर के भी ,राख धुंआ उगलती रहीं 
न बदली फिजाएं शमशान की ,ज़िंदगी बदलती रही
हर रोज़ ज़िंदगी,  मौत से निर्विघ्न गले लगती रही ।। #nojotohindi#shamshaan#nojotopoetry#quotes
चिता की राख ठंडी हुई सीने की आग सुलगती रही
अरमान भस्म कर के भी ,राख धुंआ उगलती रहीं 
न बदली फिजाएं शमशान की ,ज़िंदगी बदलती रही
हर रोज़ ज़िंदगी,  मौत से निर्विघ्न गले लगती रही ।। #nojotohindi#shamshaan#nojotopoetry#quotes