122 122 122 12 हवाओं से लड़ने की तैयारी है अभी जुस्तुजू ज़ीस्त की जारी है समझना न औरत को बुज़दिल कभी हरा देगी तुझको ये वो नारी है मुझे मिलके धोखा दिया अपनों ने हूँ मैं ग़म से लबरेज़, दिल भारी है छुपा ले मुझे अपनी मिज़्गाँ में तू सनम आँख तेरी बहुत प्यारी है चढ़ा इश्क़ का मुझपे ऐसा नशा मेरी ज़ीस्त में तू ही तू तारी है दिया घाव तूने वो भरता नहीं जफ़ा भी "सफ़र" तेरी दो-धारी है #सफ़र_ए_प्रेरित #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari ashish malik