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परख: राजनैतिक विद्वेष अथवा सत्यमेवजयते। योगी जो क

परख: राजनैतिक विद्वेष  अथवा सत्यमेवजयते।
योगी जो कार्यपालिका के मंच पर खड़ा होकर दोबारा अत्यन्त गम्भीर होतें है फूट फूट कर रोते हुए अपने संरक्षण की मांग करतें है २००6 का वह समय जब योगी आदित्य नाथ तीसरी बार 1500000 वोटों से जीत कर लोकसभा के सदस्य चुने जाते हैं एवं अपने संरक्षण की गुहार तत्कालिक अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से लगाते हैं।  दृढ़ संकल्पित होते हैं और निर्णय लेते हैं कि इस प्रकार की किसी भी शक्ति को समय आने पर सर नही उठाने देंगें।
दूसरी बार तब जब 25 फरवरी 20 23 जब वह कहते हैं कि ऐसे माफिया जो 24फरवरी को हुए उमेश पाल हत्याकाण्ड में शामिल है और बेबाक रूप से नाम लेते है अतिक अहमद एवं उसको संरक्षण देने वाले दल का
 • दोनों ही बार योगी की गम्भीरता देखते बनती है। १३/०४/२०२३ का वह दिन जब झॉसी में एक डैम के पास अतीक के बेटे असद एवं गुलाम दोनों का एक पुलिस मुठभेड़ में एनकाउण्टर कर दिया जाता है।
और अब बहस शुरू होती है राजनैतिक विद्वेष और सत्यमेव जयते के समर्थक दो पक्षों के मध्य


☐  इस बहस में पड़ने से पहले कुछ पुरानी बातों पर ध्यान देते हैं 2012 में अतीक अहमद ने अपनी जमानत के लिए इलाहाबद हाइकोर्ट में याचिका डाली उसकी दहशत ऐसी की उस याचिका पर सुनवायी करने से पहले 10 जज स्वयं को किनारे कर लेते हैं एवं जो आता है भयवश जमानत दे देता है ये रही हमारी न्याय पालिका की कहानी और न्यायपालिका किस लिये है प्रश्न का उचित उत्तर.?

☐  लोकतन्त्र, न्यायतन्त्र, कानून व्यवस्था, लोकशाही, मानवाधिकार ये सारे प्रावधान मनुष्य एवं किसी देश के नागरिक के लिए होते हैं न कि मानव के भेष में भेड़िये व कि सी देश द्रोही के लिए
☐  अतीक अहमद के बेटे असद का झांसी के पास एक डैम पर
 • एनकाउंटर कर दिया जाता है इस पर कु छ राजनैतिक विद्वेष की भावना के पक्ष का समर्थन करने वाले लोगों का बयान आता है- किसी वर्ग विशेष के लिए आधुनिक भारत के जिन्ना जो शिक्षित मूर्ख का बयान आता है कि यह सविंधान का एनकाउंटर है।
 • माननीय तथाकथित सपा प्रमुख का बयान आता है कि यह भाईचारे के खिलाफ है, माननीय सिद्ध करते हैं कि वे माननीय नेता जी के भाग्य अंशधारी ही हैं। महोदय के इस प्रकार के बयान देश विरोधी एजेंडा को समर्थन प्रदान करते हैं।
 • माननीय उ0 प्र० मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ जी देश एवं प्रदेश एनकाउंटर की वास्तविकता से परिचित होते हुए भी आपकी कार्यवाही को पूर्ण न्यायसंगत मानती है एवं आपके द्वारा किये गये न्याय एवं उसको करने में अपनाये गये प्रारूप को पूर्ण रूप से स्वीकार करती है।
☐  आदर्श राज्य की स्थापना के लिए कई आचार सहि'ताओ
की आहूति देनी पड़ती है।                                           #PT 

।                                                                           प्रत्यूष तोमर

©pratyoosh singh
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