उजड़ गया बगीचा खयाली फूलों का कोई पाबंद ही रहा अपने उसूलों का। मैं जा पहुंचा उस शहर को जहां बाज़ार लगता था झूठे वकीलों का। ©Amir Rizvi #Dostiforever