हरे भरे खेतों में पसरा,देखो कैसा सूनापन, सड़कों पर खेतों का माली,पीछे घर में खाली मन, अपने हित को भूल कर रहे,ये नादानी भारी है- जाल में फँसकर सूली चढ़ते,देख के झूठा अपनापन।। सुनीता बिश्नोलिया ©® ©Sunita Bishnolia #सूने खेत